राष्ट्र के उपेक्षित बचपन को संवारने की अभिनव प्रयोग भरी मिशन की शिक्षा सेवा | vishwa Jagriti Mission

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शिक्षा जीवन निर्माण की आधार शिला है

 शिक्षा जीवन निर्माण की आधार शिला है, करोड़ों बचपनों को बेहद दुःखी और व्यथित देखकर पूज्य महाराजश्री के मन में संकल्पभाव जगा कि ‘‘देश के अनाथ बच्चों के प्रति संवेदनशील होना हर सभ्य समाज का अत्यन्त महत्वपूर्ण दायित्व है। फुटपाथों, गलियों और जंगलों में भटकते इस बचपन को सम्हाला व संवारा न गया, तो ये अपनी ही भारत मां के सीने में घाव कर सकते हैं।’’ इसी संवेदनाओं से विश्व जागृति मिशन राष्ट्र के उपेक्षित बचपन को वात्सल्य संरक्षण, शिक्षण-प्रशिक्षण देकर उन्हें सुयोग्य बनाकर राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का मिशन अभिनव प्रयास करता आ रहा है।

3000 से अधिक बच्चों का जीवन संवारा जा रहा है

इस प्रकार देश के बचपन को भारत के ऋषि प्रणीत प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिकतम विज्ञान से जोड़ने के लिए मिशन की शिक्षा सेवा अहर्निश समर्पित है। आज मिशन लगभग 3000 बच्चों पर कार्य कर रहा है। इन बच्चों को उचित शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके ऊपर आने वाले समस्त व्यय का वहन करता है।  आदिवासी रुक्का-खूंटी ग्राम में दो विद्यालय मिशन द्वारा संचालित हैं। इन बच्चों के लिए समस्त पाठ्य सामग्री, वस्त्र-भोजन आदि की व्यवस्था संस्था द्वारा की जाती है। 1200 अत्यंत निर्धन बच्चे हरियाणा फरीदाबाद मण्डल के ज्ञानदीप विद्यालय में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ये वे बच्चे हैं जो कूड़ा-कचरा बीनने से लेकर भीख मांगने का कार्य करते थे।

महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ

इस क्रम में सर्व प्रथम आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ, आनन्दधाम, नई दिल्ली की स्थापना हुई। इन विद्यार्थियों की शिक्षा, भोजन, आवास, वस्त्र, चिकित्सा सुविधा तथा अन्य सभी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति मिशन निःशुल्क करता है। छात्रें के लिए यहां का सुंदर विशाल परिसर अपने आप में उदाहरण है। यही नहीं विद्यार्थियों के लिए बने शिक्षण कक्ष, सभागार से लेकर खेल का मैदान, प्रतियोगिताशाला, दिव्यतापूर्ण यज्ञशाला, उपासना कक्ष, भोजनालय देखकर किसी भी अभिभावक का भी मन अपने बालकों को इस गुरुकुल से जोड़ने हेतु मचल उठता है। प्रातः जलपान से लेकर भोजन तक की उत्तम सुरुचिपूर्ण व्यवस्था बच्चों के स्वास्थ्य संवर्धन एवं मानसिक विकास का यह अपना अलग श्रेष्ठ संदेश देता है।

उपदेशक महाविद्यालय

तत्पश्चात देश में पुनः धर्मोपदेशकों की आवश्यकता को महसूस करते हुए पूज्यवर ने धर्माचार्य प्रशिक्षार्थियों के निर्माण हेतु वर्ष 2019 में उपदेशक महाविद्यालय की स्थापना की। लोक पीड़ा को सेवा में परिवर्तित करने वाले युवाओं को गढ़ना गुरुसंकल्प की यह विशेष कड़ी है। लोक पीड़ा का अहसास करते हुए राष्ट्र सेवा में हाथ बंटा सकें। देश को ऐसे वानप्रस्थियों, उपदेशकों की जरूरत की पूर्ति कर रहा है यह महाविद्यालय।

बालाश्रम, सूरत (गुजरात)

बालाश्रम, सूरत (गुजरात) लगभग दो दशक पूर्व गुजरात भूकम्प त्रसदी में अनाथ बच्चों को संरक्षण देने की भावधारा में इस अनाथालय का निर्माण हुआ। तब से लेकर आज तक अनवरत चल रहे इस बालाश्रम में सैकड़ों अनाथ बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण हो रहा है। सैकड़ों विद्यार्थी विश्व जागृति मिशन के प्रयास से भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में उच्च गुणवत्ता वाली अत्याधुनिक स्कूली शिक्षा प्राप्त कर स्वयं को समाज की मुख्य धारा के अनुकूल बना रहे हैं। इसी में से अनेक बच्चे प्रान्त स्तर पर विविध प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक भी प्राप्त कर चुके हैं।

महर्षि वेदव्यास अन्तर्राष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ

विश्व जागृति मिशन कानपुर मण्डल के बिठूर स्थित सिद्धिधाम आश्रम में प्रारम्भ हुए ‘‘महर्षि वेदव्यास अन्तर्राष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ’’ को संस्कार एवं विज्ञानयुक्त शिक्षण केन्द्र कह सकते हैं। प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान से युक्त यहां की अत्याधुनिक शिक्षा योग्य शिक्षकों द्वारा प्रदान की जाती है। वेदादि शास्त्रें से लेकर योग, नैतिक मूल्य, सुसंस्कार आदि के साथ कम्प्यूटर, योग, खेल आदि तकनीकों से भी इन बच्चों को जोड़ा जा रहा है। यहां इनके शिक्षण, आवास, भरणपोषण की उच्चस्तरीय व्यवस्था है। इस गुरुकुल की उत्कृष्ट मानव निर्माण की महाक्रान्ति को देखने देश-विदेश से अनेक गणमान्य आकर यहां से प्रेरित होते हैं। भविष्य में भी देश के विभिन्न नगरों में ऐसे गुणवत्ता वाले गुरुकुल खोलने की मिशन की योजना है।

आदिवासी पब्लिक स्कूल रुक्का एवं खूंटी (रांची-झारखण्ड)

इसी प्रकार रांची-झारखण्ड के रुक्का एवं खूंटी में विश्व जागृति मिशन द्वारा आदिवासी पब्लिक स्कूल’ के इन स्कूलों में आदिवासी क्षेत्रें के 700 से अधिक बच्चों को पुस्तकें, यूनिफार्म एवं अल्पाहार के साथ निःशुल्क शिक्षा दी ही जाती है।

ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद (हरियाणा)

इसी तरह छोटी-छोटी गरीब बच्चियों को प्रातःकाल कूड़ा बीनते, भीख मांगते देखकर मन में एक भाव जागृत हुआ कि कि क्यों न वह इन बच्चियों के लिये शिक्षा की व्यवस्था करके इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़कर इनके जीवन को संवारा जाये और ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद (हरियाणा) की स्थापना हुई। पूज्य सद्गुरुदेव के मार्गदर्शन में जून 2001 में 5 छोटी-छोटी कन्याओं से आश्रम में नर्सरी कक्षा प्रारम्भ की। वर्ष 2002 में 28 कन्याएं दाखिल हुईं।

अब ज्ञानदीप विद्यालय में 700 कन्याएं और 300 बालक हैं। बालिकाएं प्रातः और बालक शाम की शिफ्रट में आते है। इस विद्यालय में नर्सरी से लेकर दसवीं तक शिक्षा दी जाती है।’’ सभी विद्यार्थियों को एक समय का खाना, पुस्तकें, वेशभूषा, जूते, स्वेटर निःशुल्क दिये जाते हैं। इन्हें पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा देने के साथ-साथ संगीत, सिलाई, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस विद्यालय में सभी पर्व, त्यौहार, मिशन के पर्व, राष्ट्रीय पर्व बड़े उत्साह से मनाये जाते हैं।

मिशन प्रयास कर रहा है कि इन बच्चों को सुयोग्य बनाकर राष्ट्र को अर्पित किया जाय। गुरुदेव के मिशन के इस शिक्षा सेवाकार्य में अपने पवित्रम आय में से कुछ अंश-हिस्सा देकर राष्ट्र निर्माण के इन प्रयासों में लोग सहभागी बन रहे हैं।

-टीम

How about Gurukul System of Education ? | Sudhanshu ji Maharaj | Vishwa Jagriti Mission

The Gurukul System of Education

The ‘Gurukul’ system of education is the essence of Indian way of imparting education. Basically, a Gurukul is a school where students learn and live along with their Gurus and receive formal education, ethical values and life skills. Gurukul has significant mythological connotations as well. Lord Ram, the Pandavas, Luv-Kush, and Lord Krishna received their formal education in a Gurukul under the guidance of a Guru and even today, the Gurukul system holds a great significance. 

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Vedic Age & Gurukul System

The Gurukul System was more widespread during the Vedic age where students were taught diverse subjects. The education was largely based on Vedas, grammar, the study of nature, logic, reasoning, science and other skills that are necessary for an occupation. Gurukul was the home of the Guru and the centre of learning where disciples stayed till the end of their schooling. All pupils were considered equal at the Gurukul.  Adopt a caring of a senior Citizen

Gurus as well as Shishyas resided in the same dwelling. The relationship between Guru and Shishya was considered sacred. No fee was taken from the students. Though, the disciples had to offer a Gurudakshina. It was a symbol of deep respect paid to the Guru.Adopt a caring of a senior Citizen

The Key Objectives of the Gurukul System

The key objectives of the Gurukul system of education are-

  • Imparting Education with Moral Values
  • Social Awareness
  • Perseverance & Self-Control
  • Character Building
  • Personality Development
  • Spiritual Development
  • Preservation of Indian Culture 

Gurukuls in the Present Time

The Gurukul system of education is still prevalent in India. They focus on imparting education to the needy students in a natural surroundings where they can live with other students while inculcating the values of humanity, discipline and brotherhood. They study language, Science, Mathematics through Swadhyay and group discussions. They also acquire knowledge in fields like sports, arts, crafts, dancing and singing. 

At the Gurukul, the focus is on developing intelligence and ability of critical thinking in the learners. They take part in activities such as meditation, Pranayam and Mantra chanting. One such Gurukul is, Maharishi Vedvyas Gurukul Vidyapeeth which is a unique centre of teaching located at Anand Dham Ashram, Delhi. HH Sudhanshuji Maharaj laid the foundation of this Gurukul on 2nd October, 1999. Adopt a caring of a senior Citizen

Here, students pursue their studies as per the curriculum of the Sanskrit university of Varanasi. They study all formal subjects along with the Vedas, Purans, Ramayana, Gita, Meditation, Music, Computer, and also get involved in co-curricular activities.  The beautiful centre of learning is situated in a pollution-free, clean and natural environment. All necessary educational facilities are available here where students from the underprivileged and poor sections of Indian society are given free education. They get free facilities of residence, food, clothing and healthcare. Adopt a caring of a senior Citizen

The Way Forward

Modern Gurukuls should be based on applied knowledge to prepare the students in all areas of education. It could be done by creating a perfect environment of academics and extracurricular activities for students. The application of the Gurukul system works on a value-based system and so the focus should be on the individuality of the student. They must excel in their area of interest. It will build a good character in them so that they can become what they want by understanding the whole concept of a balanced life. Such an education system will cultivate well-adapted and resourceful human beings who can face any challenge in life with bravery. Adopt a caring of a senior Citizen