परम्परागत ढंग से आनन्दधाम में मनाई गयी पूर्णिमा

Purnima Anand Dham Ashram June 2018-Sudhanshuji Maharajआज आनन्दधाम परिसर में परम्परागत ढंग से हर्षपूर्वक गुरुपूर्णिमा मनाई गयी। इस अवसर पर देश के अनेक प्रांतों से सैकड़ों भाई बहिन गुरु-आशीर्वाद लेकर पर्व मनाने आनन्दधाम परिसर पधारे। पूनमगुलाठी मुरादाबाद, साधना वर्मा करनाल सहित अनेक मिशन के गायकों द्वारा प्रस्तुत भाव भरे भजन से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात देश के विविध मण्डलों से पधारे विश्व जागृति मिशन मण्डल प्रमुखों एवं अन्य गणमान्यों ने पूज्यवर को माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान डा अर्चिका फाउण्डेशन की ओर से 250 विधवा-वेसहारा महिलाओं को सहारा-स्वाभिमान स्वरूप प्रतिमाह की तरह राशन आदि जीवनोपयोगी किट भेंट किये गये। पूज्य सुधांशु जी महाराज ने अपने हाथों से पांच महिलाओं को यह किट प्रदान कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

अपने उद्बोधन के दौरान पूज्यवर ने अपने शिष्यों एवं साधकों को दूसरों की गलतियों से सीखते हुए जीवन में सुधार लाने की प्रेरणा दी तथा जीवन को ऊंचा उठाने के लिए किसी की नकल करने से बचने को कहा। महाराज श्री ने कहा जीवन में साहस का बड़ा महत्व है। आदमी का साहस हारता है तभी उसकी जिन्दगी हारती है। उन्होनें कहा जिनके कन्धे थक गये वही दूसरों को अपनी हथेलियां दिखाकर अपनी किस्मत पूछते हैं। अतः अपने कन्धों को मजबूत करें, अपने वर्तमान को सम्मान दें कर्म करें। क्योंकि सम्भव है हथेलियों में व्यक्ति की किस्मत बंद हो, लेकिन हथेलियों के पूर्व व्यक्ति की उगलियां होती हैं जो उसे कर्म की प्रेरणा देती हैं।

महाराज श्री ने कहा अपने अंदर चुम्बक पैदा करों क्योंकि इसमें बहुत कुछ खींचने की ताकत होती है, उन्होंने कहा भाव के चुम्बकत्व से भगवान को खींचा जा सकता है। दुनियां में चुम्बक ही काम करता है और इस आनन्द धाम परिसर में जीवन को चुम्बकत्व से भरने के लिए अनन्त सम्भावनायें हैं। महाराज श्री ने दुखमुक्त जीवन की प्रेरणा देते हुए कहा कि सदैव जीवन में प्रसन्नता और उल्लास भाव के साथ कर्म के स्वागत के लिए तैयार रहने का अभ्यास डालिए, क्योंकि यदि दुख को जीवन में स्थापित करने की आदत डाल ली तो दुख कभी दूर नहीं होगा।

महाराज श्री ने आगामी गुरुपूर्णिमा पर गुरुमंत्र सिद्धिसाधना के लिए सभी को आमंत्रित करते हुए जीवन में मंत्र फलित करने की विधि सीखने के लिए न्यूनतम 20 दिन तक नित्य ग्यारह माला जप करने का निर्देश दिया और कहा जीवन को सुधार और परिष्कार से गुजारने के लिए साधक डायरी लेखन का अभ्यास करें।

4 thoughts on “परम्परागत ढंग से आनन्दधाम में मनाई गयी पूर्णिमा

  1. अति सुंदर प्रेरणा से भरपूर संदेशअति आभार गुरूदेव जी का
    आपके संदेश शिक्षा से युक्त
    जीवन के बदलाव में सहायक होते है
    जय गुरूदेव जी की

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