सुदूर देश हांगकांग एवं मनीला में गूंजा सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज का अमृत संदेश

हजारों लोगों ने सींखीं गुरु चेतना में जीवन जीने की कला

Hong Kong-Manila-SatsangHong-Kong-Manila-Satsang-Sudhanshuji Maharajभारत से सैकड़ों मील दूर ‘हांगकांग’ व ‘मनीला’ के हजारों महिलाओं, पुरुषों एवं बाल-बुजुर्गों ने अपने सद्गुरु का प्रत्यक्ष सानिध्य पाकर अपने को सौभाग्यशाली और आहलादित अनुभव किया। पूज्य सद्गुरु श्री सुधांशुजी महाराज ने अपने सप्त दिवसीय इस प्रवास के दौरान सानिध्य में आये हजारों स्वजनों को मिशन की चिंतन धारा से अभिशिंचित किया तथा अपने आशीर्वाद से स्वजनों को जीवन की जटिलताओं से मुक्ति के समाधान सूत्र दिये। ज्ञातव्य कि विश्व जागृति मिशन के महामंत्री श्री देवराज कटारीया जी सहित एक टीम भी महाराजश्री के साथ प्रवास पर गयी थी।

इस दौरान हांगकांग के होटल होलीडे में तीन दिवसीय, मनीला के हिन्दू मंदिर में दो दिवसीय एवं पा²सग के बाबा बालक नाथ मंदिर में गुरुदेव के सानिध्य में भक्ति सत्संग एवं ध्यान समारोहों में सैकड़ो भाई-बहिन अपने गुरुसत्ता से गुरुदीक्षा लेकर दीक्षित हुए। साथ ही सभी लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रें में घर-घर गुरु संदेश एवं गुरु चिंतन को पहुँचाने तथा ‘गुरु सेवा’ में बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाने का संकल्प लिया।

होटल होलीडे इन:

विश्व जागृति मिशन के संस्थापक, अध्यक्ष विचार क्रांति के पुरोधा, विश्व प्रसिद्ध संत, विचारक एवं सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज के नेतृत्व में ‘होटल होली डे इन’ में 11 से 13 जून तक चले भक्ति सत्संग में दूर-दूर से हजार के लगभग भाई-बहिनों ने गुरुसत्ता के भक्ति सत्संग को आत्मसात किया। कार्यक्रम के दौरान नयी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने एवं उन्हें भारतीय ट्टषि मूल्यों से जोड़ने के सूत्र दिये गये। युवाओं ने पूज्यवर से अपने जीवन उत्थान से जुड़े प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया। इस अवसर पर महाराजश्री ने बताया कि व्यक्ति के मन में चलने वाले 80 से 90 प्रतिशत विचार नकारात्मक होते हैं। इसके परिणामस्वरूप ही व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक परिस्थितियां घटित होने लगती हैं। उन्होंने कहा जरूरत है अपनी सम्पूर्ण जीवनचर्या को विधेयात्मक बनाने की। कार्यक्रम में ध्यान व योगाभ्यास के क्रम को भी जोड़ा गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में हांगकांग वि-जा-मि- के अध्यक्ष नोतन तोलानी, श्री रिकी दानसिंगानी, अशोक गंगवानी, रमाकांत अग्रवाल, प्रकाश सजवानी, सालु सहदादपुरी की टीम ने बढ़चढ़कर भूमिका निभाई।

मनीला, हिन्दू मंदिर:

15 व 16 जून के दो दिवसीय कार्यक्रम में श्री लाटकंबवानी, श्री फ्रैंकी जंगवानी, श्री हरेश मेहतानी एवं श्री प्रकाश चंदनानी ने कड़ी मेहनत करके सुदूर तक के परिवारों में गुरुसत्ता के आगमन का संदेश पहुंचाकर उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया। ध्यान-साधना एवं योगाभ्यास के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।

संबोधित करते हुए पूज्य महाराजश्री ने लोगों को पूजा व प्रार्थना की विधियां समझायीं और बताया कि हम सब जो भी कार्य दिन भर करते हैं, उसमें परमात्मा को शामिल करें। हर पल उसे अंग-संग महसूस करें। धन्यवादी होने का स्वभाव बनाकर हर दिन खुश रहें। अपने सद्गुरु के प्रति गहरी निष्ठा, श्रद्धा रखें। उनके साथ अपना सम्बन्ध बनाए रखें। महाराजश्री ने कहाµसंतों व सद्पुरुषों से मिलकर आगे बढ़ने की आग जीवित रहती है। जो पाना चाहते हैं वही परमात्मा को, सद्गुरु को अर्पित करें। परमात्मा से उसका प्रेम मांगें। सद्गुरु के प्रति श्रद्धा मांगें। बड़ों से आदर की भावना मांगे। बच्चों के प्रति वात्सल्य मांगे।

सद्गुरु ने बताया हर दिन की शुरुआत जागने से होती है, समापन सोने से। इन दोनों टाइम में भगवान को अवश्य याद करें। हाथ में सिमरनी रखें। चलते-फिरते नाम जप करते रहें। उन्होंने कहाµमृगी मुद्रा में जाप से विशेष लाभ मिलता है। जप-पूजा का समय निर्धारित करें ठीक समय नियम से बैठें।

बाबा बालक नाथ मंदिर:

इस अवसर पर सैकड़ों साधकों को संबोधित करते हुए सद्गुरु महाराजश्री ने कहाµमानव जीवन को उत्कृष्ट बनाने में माता-पिता एवं गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बालक मां से ही प्रेम सीखता है। मां बच्चे को इस प्रकार गोद में लेती है कि हृदय से हृदय मिला होता है। प्रेम की तरंगे मां से बच्चे को मिलती है। इसीप्रकार गुरु भी अपने शिष्यों को अपने हृदय में रखता है। सद्गुरु ने कहाµपिता अपने बच्चे के अंदर साहस, हिम्मत, बहादुरी पैदा करता है। इसलिए पिता का स्थान सूर्य का स्थान कहा गया है। गुरुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि जीवन में पहला गुरु माँ, दूसरा गुरु पिता एवं सबसे महत्वपूर्ण प्रेरक तीसरा सद्गुरु बनता है। उन्होंने साधकों से कहा भक्ति का नियम बनाएं। यही वह डोर है जो प्रभु से हमें जोड़ता है। उन्होंने प्रकृति से सीखने की प्रेरणा देते हुए कहाµबुलबुल से संगीत सी जिंदगी सीखें। उल्लू से अंधेरे में संघर्ष करना। चींटी से लगातार परिश्रम करना, बादल से खुशियां लाना, पहाड़ से शक्तिशाली बनना, संगठन की शक्ति, विचारों की शान, धन की शक्ति, मोर से उत्सव ही जिंदगी, गुलाब से विकास और सूरज से एक नई शुरुआत सीखें।

इस अवसर पर श्री प्रेम चड्डियार, श्री लाल केशवानी ने उत्साहपूर्व कार्यक्रम में भूमिका निभाई।

One thought on “सुदूर देश हांगकांग एवं मनीला में गूंजा सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज का अमृत संदेश

  1. Parm vandniye gurudev ji ka margdarshan manav jeevan ke andhere rahi mei surye se roshne kartei hei,jevan thokro sei bchkr apnei lakshye prapat kr chmak uthta hei.

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