श्रीमद्भगवदगीता व श्रीरामचरितमानस देते हैं जीवन को सद्शिक्षण

इस देश के कण-कण में बसते हैं श्रीकृष्ण और श्रीराम

जून 2020 में होगी शिव धाम कैलास मानसरोवर की यात्रा

जिला मजिस्ट्रेट कुमार अमित ने भी सुना सत्संग

Virat Bhakti Satsang-Patiala-30-11-2019 | Sudhanshu Ji Maharajपटियाला, 30 नवम्बर (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन के पटियाला मण्डल के द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिवस के पूर्वाह्नक़ालीन सत्र में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का उदबोधन सुनने पटियाला के जिला मजिस्ट्रेट सह डिप्टी कमिश्नर श्री कुमार अमित समेत जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी नगर के वीर हकीकत राय ग्राउण्ड स्थित सत्संग सभा में पहुँचे। इस अवसर पर पंजाब के प्रख्यात गायक श्री सुरजीत कुमार ने भजनों के माध्यम से विश्व जागृति मिशन की सृजनधर्मी गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

प्रातःकालीन सत्र में श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने उदबोधन का श्रीगणेश वन्दना गीत ‘ॐ नमः शिवाय’ के साथ किया। इस अवसर पर उन्होंने श्रीकृष्ण के काल के बाद के भारतीय इतिहास की चर्चा की और बताया कि एक यूनानी विद्वान द्वारा श्रीकृष्ण और उनकी मथुरा का जिक्र यूनानी साहित्य में किया गया था। जिसमें मथुरा को मथौरा बताते हुए कृष्ण की चर्चा यह कहते हुए की गई है, कि श्रीकृष्ण का वहाँ बहुत बड़ा प्रभाव है और लोग उन्हें ईश्वर की भांति मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस देश के माताओं-पिताओं ने अपने बच्चों का नामकरण कृष्ण और राम के नाम पर किया। श्रीकृष्ण और श्रीराम विश्व के इस विशाल भूभाग के कण-कण में बसते हैं। इसलिए श्रीमद्भगवदगीता और श्रीरामचरितमानस हजारों-हजार वर्षों से न केवल भारतवर्ष वरन पूरी दुनिया के सनातनी समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने परमात्मा के अनूठे नियमों एवं देनों की चर्चा की। पूछा कि खारे जल वाले समुद्र के समीप मीठा जल देने वाला ‘नारियल’ प्रदान करने वाले परमेश्वर जैसी रचनाएँ क्या कोई मनुष्य कर सकता है? जहाँ मोटे अनाजों का अभाव है, हिमाचल आदि उन पर्वतीय अंचलों में ‘सेव’ जैसी चीजें उत्पन्न करने की योग्यता क्या किसी अन्य में है? सभी का जवाब ‘ना’ में होगा। उन्होंने कहा कि प्रभु के बनाए नियम अनूठे हैं, अनुपम हैं। इन नियमों को जानना व मानना ही ‘धर्म’ है और इनका उल्लंघन करना, इन्हें तोड़ना ही ‘अधर्म’ है। श्री सुधांशु जी महाराज ने ऐसा ‘धर्मी’ यानी ‘धार्मिक’ बनने का आहवान सभी से किया।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम नई दिल्ली से आये स्टॉल प्रभारी श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग सभा स्थल पर लगभग एक दर्जन स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें साहित्य, वृद्धजन सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, गौ सेवा, कैलाश यात्रा, अनाथ शिक्षा सेवा, धर्मादा सेवा, गुरुकुल आदि के स्टॉल शामिल हैं।

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