मनाली 1 जून, 2019
विश्व जागृति मिशन के सौजन्य से परमपूज्य गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज एवं ध्यान गुरु डॉ-अर्चिका दीदी के सानिध्य में आयोजित लघुचान्द्रायण तप साधना में साधक साधिकाओं के आत्मिक उत्थान के लिए ध्यान, यज्ञ, पूजन, आरती, मौन विविध प्रयोग कराए गए। उन्हें डिवाइन ब्लीस मेडिटेशन, आत्मसाधना योगनिद्रा आदि ध्यान, ऊर्जा ध्यान आदि का प्रयोग सिखाया गया। सभी साधक साधिकाओं को आदि शक्ति पराम्बा माता त्रिपुर सुन्दरी की उपासना करने का अवसर डॉ-अर्चिका दीदी के सानिध्य में प्राप्त हुआ। नग्गर स्थित प्राचीन त्रिपुर सुन्दरी माता मंदिर में सभी साधक-साधिकाओं के कल्याण के लिए डॉ-अर्चिका दीदी ने विशेष पूजा की। माता के आशीर्वाद स्वरूप सभी को दीदी ने अंगवस्त्र प्रदान किए। दीदी ने कहा माता त्रिपुर सुन्दरी 16 कलाओं को प्रदान करती हैं। इसलिए इनका नाम षोडसी भी है। भोग और मुक्ति की इच्छा रखने वालों के लिए माता त्रिपुरा सुन्दरी की उपासना परम कल्याणकारी है। इस अवसर पर ध्यान गुरु डॉ- अर्चिका दीदी के साथविश्व जागृति मिशन के महामंत्री श्री देवराज कटारिया, श्री यशपाल सचदेवा, श्री राजकुमार अरोड़ा, श्री पवन गुप्ता, श्री अखिलेश कपूर आदि अधिकारी भी उपस्थित थे।
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आनन्द, सत्य, प्रेम और शान्ति बाहर नहीं अन्दर से मिलते हैं
“आनन्द न बीते हुए कल में है, न आने वाले कल में है, आनन्द उस पल में है जो आप जी रहे हैं”
”आनन्द खोजने से नहीं मिलता, सच्चिदानंद में खो जाने से मिलता है”
दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में हुई विशेष आध्यात्मिक सभा
आनन्द की खोज विषय पर हुई विचार गोष्ठी
वरिष्ठ लोकसेवी राकेश आहूजा व प्रेमनाथ बत्रा का हुआ सम्मान
दक्षिणी दिल्ली, 20 अप्रैल। देश की राजधानी दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आज शाम नई दिल्ली व एनसीआर के विभिन्न अंचलों से आनन्द-खोजी स्त्री पुरूष, युवक युवतियाँ एवं नई पीढ़ी के सदस्य बड़ी संख्या में जुटे। विश्व जागृति मिशन के दक्षिणी दिल्ली मण्डल के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि आनन्द न तो बीते हुए कल में है और न आने वाले कल में है, आनन्द तो उस पल में है जो आप जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि आनन्द खोजने से नहीं मिलता, वह सच्चिदानंद यानी परम पिता परमात्मा में खो जाने से मिलता है। उन्होंने भूतकाल का रोना छोड़ने तथा भविष्य की कल्पनाओं में खोने की आदत का परित्याग करके ‘वर्तमान’ को ताकतवर बनाने का आहवान देशवासियों से किया। कहा कि वर्तमान ही जीवित पल है। दुनिया के सभी लोग दुखों से मुक्ति और सुखों की प्राप्ति चाहते हैं। आनन्द की प्राप्ति के लिए बेचैन हर व्यक्ति उस आनन्द को खोजने के लिए विविध प्रयत्न करता है। उन्होंने कहा कि हर चीज अपनी परिधि में घूमती हुई अपने केन्द्र की ओर बढ़ती है। जिस तरह गंगा सहित हर नदी महासागर में मिलकर पूर्णता प्राप्त करती है, उसी तरह मनुष्य अपने केन्द्र परमात्मा तक पहुँचकर ही आनन्द की पूर्णता प्राप्त कर पाता है।
मिशन प्रमुख ने कहा कि जीवन की यात्रा की सम्पूर्णता ‘पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात पूर्ण मुद्चयते’ में ही है। उन्होंने कहा कि परब्रह्म परमेश्वर ही आनन्द है और आनन्द ही परब्रह्म है। अतः जीवन का आनन्द प्राप्त करने के लिए प्रभु तक पहुंचने की यात्रा करनी ही पड़ती है। कहा कि वस्तुतः आनन्द प्राप्ति ही मानव जीवन का लक्ष्य है।
इस अवसर पर डॉ. अर्चिका दीदी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने भीतर ज्ञान को, प्रेम को, सत्य को, शान्ति को, आनन्द को खोजता है वह ही आनन्द पाता है। इन चीजों की खोज बाहर करने वालों को निराश ही होना पड़ता है। आनन्द, सत्य, प्रेम, शान्ति इत्यादि वस्तुतः आन्तरिक क्षेत्र की चीजें हैं। बाहर ये चीजें नहीं मिलतीं, बाहर तो टेंशन मिला करती है। आज दुर्भाग्य है कि हिमालय जैसा महाटेंशन लेकर व्यक्ति जीवन जी रहा है। इस दुर्भाग्य से लड़ने के लिए ईश्वरनिष्ठ होकर अन्तर्यात्रा के पथ को अपनाना जरूरी होता है। आनन्द प्राप्ति का यही एकमात्र पथ है। उन्होंने बाहर से भीतर की यात्रा का मार्ग पकड़ने का सुझाव सभी को दिया।
इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन के वरिष्ठ अधिकारी श्री राकेश आहूजा एवं दक्षिणी दिल्ली मण्डल के संरक्षक श्री प्रेमनाथ बत्रा का सम्मान किया गया।
इसके पूर्व फरीदाबाद से आई अंजू मुंजयाल की अगुवाई में युवा गायकों के संगीत दल ने कई भजन प्रस्तुत किये। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मुख्य मंचीय समन्वयन में सम्पन्न इस विशेष संगोष्ठी में मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया सहित समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी तथा एनसीआर के विभिन्न मण्डलों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
दिल्ली में महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय का हुआ उद्घाटन
मेजर जनरल जी.डी.बख्शी आनन्दधाम पहुँचे
महाविद्यालय में तैयार होंगे निष्णात् धर्मोपदेेशक
एक सच्चा धर्मोपदेशक युगों को बदलने की क्षमता रखता है
विजामि प्रमुख आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कहा
आनन्दधाम-नयी दिल्ली, 19 अपै्रल। विश्व जागृति मिशन के अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आनन्दधाम में हनुमान जयन्ती के पावन अवसर पर आज ‘महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय’ का उद्घाटन महावीर की तरह के व्यक्तित्व वाले भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल श्री जी.डी. बख्शी के हाथों हुआ। मिशन प्रमुख, प्रख्यात मनीषी एवं अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज की विशिष्ट उपस्थिति में सम्पन्न उद्घाटन समारोह में इस आध्यात्मिक आश्रम में ‘‘वीर भाव साधना’’ का अनूठा वातावरण विनिर्मित हो उठा।
विश्व जागृति मिशन परिवार में जनरल गगनदीप बख्शी का स्वागत करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ‘सेवक और सैनिक’ की संयुक्त अवस्था वाले श्रीराम भक्त हनुमान के जन्मोत्सव पर आरम्भ हुआ आज का यह अभिनव प्रकल्प भारत के भावी इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने उपदेशक महाविद्यालय में चलाये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी जानकारी सभी को दी। कहा कि धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, राष्ट्रनिष्ठा सहित युगधर्म का सही एवं सम्यक् ज्ञान देने वाले धर्मोपदेशकों की इस देश व विश्व को महती आवश्यकता है।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि एक सच्चा धर्मोपदेशक युगों को बदलने की क्षमता रखता है। कहा कि वेद, उपनिषद, गीता, रामायण आदि पवित्र ग्रन्थों में पारंगत उपदेशक जो मनोविज्ञान व इतिहास के मर्मज्ञ भी होंगे, वे समाज व देश का सुन्दर निर्माण भी करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस उपदेशक महाविद्यालय से निकले युवा न केवल अपने देश के कोने-कोने में पहुँचकर भारतीय धर्म एवं ऋषि संस्कृति की सही व सम्यक् जानकारी जनसामान्य तक पहुँचायेंगे, बल्कि विदेश की धरती पर भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक राजदूत बनकर सभी ओर संस्कृति का स्नेह-सिंचन करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि इस दुनिया की सर्वोच्च उपलब्धि ईश्वर प्राप्ति यानी मोक्ष का अधिकारी या तो समाधिस्थ योगी होता है अथवा राष्ट्र की सीमा पर उसकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाला सैनिक।
बतौर मुख्य अतिथि जनरल जी. डी. बख्शी ने इस अवसर पर कहा कि उन्होंने 1947 के पूर्व कश्मीर के राजा हरि सिंह की सेना में रहे अपने पिता श्री एस.पी. बख्शी और 1965 में मात्र 23 साल की उम्र में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए बड़े भाई कैप्टन रमन बख्शी की बहादुरी को समीप से देखा है। वह बोले कि अग्रज के दिवंगत शरीर की बजाय एक मटकी में आयीं उनकी अस्थियों को देखकर अगले साल 1966 में हमने एन.डी.ए. ज्वाइन किया था। पढ़ाई पूरी होते ही 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के युद्ध के कारण एक महीने पहले ही सेना में कमीशन देकर मुझे युद्धभूमि पर भेज दिया गया था। मात्र 14 दिन में पाकिस्तान के दो टुकड़े करके 93,000 शत्रु सैनिकों को हमारी सेना ने बन्दी बनाया था, मैं उन गर्वीले क्षणों का न केवल प्रत्यक्षदर्शी रहा बल्कि उसका सक्रिय अंग भी रहा।
जनरल बख्शी ने आज के भारत के अजीबोगरीब परिदृश्य की चर्चा करते हुए सन्तों व संन्यासियों से बिना कोई देर किए ‘वीर-भाव-साधना’ के क्षेत्र मंें उतरने का आह्वान किया। उन्होंने अतीत काल में राष्ट्र रक्षा के लिए सन्तों द्वारा तलवार उठाने की इतिहास घटना भी सुनायी। जनरल बख्शी ने कहा कि भारतवर्ष जब कभी विश्व-गुरू बनेगा तो वह ताकत और ज्ञान दोनों के बल पर बनेगा। जनरल ने भारतीयों में ‘क्षात्र शक्ति’ उभारने के लिए विशेष अभियान चलाने पर बल दिया। उनने एक और महाभारत की अति आवश्यकता बतायी। कहा कि भारत मंें ही सदैव अवतार होते रहे हैं।
विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष ध्यान-योगगुरु डाॅ0 अर्चिका दीदी ने उपदेशक महाविद्यालय के रूप में मिले एक और अभिनव प्रकल्प के लिए महाविद्यालय प्रांगण में हजारों की संख्या में उपस्थित मिशन परिवार को बधाई दी। राष्ट्र की दिशाधारा बदल देने वाले अतीत के भारतीय विद्वान आचार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने आनन्दधाम गुरुकुल एवं उपदेशक महाविद्यालय के आचार्यों का आह्वान किया कि देश को सुयोग्य धर्मोपदेशक देने के इस महान गुरुकार्य में अपनी पूरी शक्ति नियोजित करें।
विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मुख्य समन्वयन एवं संचालन में सम्पन्न महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय उद्घाटन समारोह में आभार ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ0 सप्तर्षि मिश्र ने कहा कि ब्राह्मशक्ति व क्षात्रशक्ति के अभाव में हमारा देश इन दिनों आन्तरिक एवं बाह्य असुरक्षा की गम्भीर स्थितियों से गुजर रहा है। भगवान परशुराम के कथन ‘‘अग्रतश्चतुरो वेदान् पृष्ठतः सशरं धनुः, इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शास्त्रादपि शरादपि’’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस देश में एक धर्मोपदेशक शास्त्र व शस्त्र दोनों में निपुण रहा है। देश में वीरता के भाव का राष्ट्रीय जागरण करने के लिए आज पुनः इसकी बड़ी आवश्यकता है।
इसके पूर्व उपदेशक महाविद्यालय भवन में विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया। पं0 सतीश चन्द्र द्विवेदी के आचार्यत्व में सम्पन्न इस यज्ञ में गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने भागीदारी की। उद्घाटन समारोह में विश्व जागृति मिशन के प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर, उपप्रधान श्री दौलत राम कटारिया, महामन्त्री श्री देवराज कटारिया, कोषाध्यक्ष श्री राज कुमार अरोड़ा, संयोजक डाॅ0 नरेन्द्र मदान, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम.एल.तिवारी, जीवन संचेतना के सम्पादक डाॅ0 विजय कुमार मिश्र, केन्द्रीय अधिकारी श्री मनोज शास्त्री, नागपुर के श्री गौरीशंकर अग्रवाल, वाराणसी के श्री इन्द्रदेव दुबे, जालन्धर के श्री सुरेन्द्र चावला, आचार्य डाॅ0 शेष कुमार शर्मा, आचार्य अनिल झा सहित मिशन के विभिन्न मण्डलों के अधिकारी तथा नयी दिल्ली सहित एन.सी.आर. के विभिन्न अंचलों से आए मिशन कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कार्यकर्ताओं से सेवा कार्यों को तीव्र गति देने का किया आहवान
इन्दौर विराट भक्ति सत्संग महोत्सव सफलतापूर्वक सम्पन्न
इन्दौर, 14 अप्रैल (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ दशहरा मैदान में आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। मिशन के इन्दौर मण्डल के तत्वावधान में आयोजित इस विशालकाय सत्संग समारोह में इन्दौर सहित मध्य प्रदेश के अनेक जनपदों तथा राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, उड़ीसा आदि प्रान्तों के ज्ञान जिज्ञासुओं ने सक्रिय प्रतिभागिता की।
विदाई सत्र में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने मिशन के कार्यकर्ताओं को अपने में और अधिक आध्यात्मिक गहराई लाने तथा सेवा कार्यों को तेज करने का आहवान किया।
इस अवसर पर आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यह समय बड़े बदलावों का है। इस दौर में हर देशवासी को अपनी भीतरी शक्ति का जागरण करना होगा। यह देश ऋषियों का देश है, गीता का देश है, रामायण का देश है। यह देश सदा से समस्त विश्व का मार्गदर्शन करता रहा है। तेजी से हो रहे वैश्विक परिवर्तनों के इस विशेष काल में हम भारतीयों को अपनी मौलिक ताकत को समझना होगा। उन्होंने श्रीमद्भवदगीता के विभिन्न उद्धरणों – प्रसंगों के साथ उपस्थित ज़न-समुदाय को अनेक प्रेरणाएँ दीं।
आज की सन्ध्या दिव्य भजनों व गीतों से सजी थी। आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग, महेश सैनी, राम बिहारी, स्वीटी शर्मा, क्षमा साध ने कई प्रेरक भजन सुनाकर उपस्थित जनसमुदाय में भावोददीपन किया। गायकों का वाद्य-यंत्रों पर साथ श्री रविशंकर, राहुल आनन्द एवं चुन्नी लाल तंवर ने दिया।
विदाई के पूर्व विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक श्री कृष्ण मुरारी शर्मा सहित इन्दौर मण्डल के मिशन अधिकारियों-कार्यकर्ताओं ने अपने गुरुदेव आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनन्दन किया। सत्संग समारोह का समापन दिव्य आरती के साथ हुआ। नई दिल्ली से आए मिशन अधिकारी श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि यहाँ लगे एक दर्जन स्टालों का लाभ कई हजार लोगों ने उठाया। ज्ञान जिज्ञासुओं ने आध्यात्मिक जागरण, साहित्य विस्तार, गौसेवा, वृद्धजन सेवा, अनाथ (देवदूत) शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा आदि गतिविधियों में रुचि ली। श्री कृष्ण मुरारी शर्मा ने गुरुदेव सहित आनन्द धाम से आए सभी अधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं तथा उपस्थित जनसमुदाय के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
पाँच दिवसीय सत्संग समारोह का समस्त मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। विदाई सत्र में प्रख्यात कवि श्री अशोक भाटी ने सभा संचालन के मध्य अपनी रचनाओं से जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दशहरा मैदान में पुरुषोत्तम श्रीराम के गुणों की हुई चर्चा
सेवाधाम आश्रम की दिव्यांग बालिकाओं ने भी सुना सत्संग
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का चौथा दिन
इन्दौर, 13 अप्रैल (सायं)। विश्व जागृति मिशन के इन्दौर मण्डल द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के चौथे दिवस सांध्यकालीन सत्र में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने रामनवमी के परिप्रेक्ष्य में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की विस्तार से चर्चा की। रामलीला ग्राउण्ड यानी दशहरा मैदान में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि राम एक युगान्तकारी प्रभाव का नाम है, जो कभी भी कम नहीं हो सकता। श्रीराम का प्रभाव किसी भी युग में कम नहीं हो सकता। उन्होंने प्रभु श्रीराम के मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप पर विशद चर्चा की।
भारतीय संस्कृति को श्रीराम की अद्भुत संस्कृति बताते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने भारतवर्ष के मानवीय जीवन के हर पक्ष को आध्यात्मिक संस्कृति बताया। त्यागवादी संस्कृति को देव संस्कृति की संज्ञा देते हुए उन्होंने इसकी विलोमार्थी संस्कृति यानी भोगवादी संस्कृति से बचने को कहा। श्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि श्रीराम से आत्मदर्शन की प्रेरणा मिलती है और रावण से प्रदर्शन की।
श्रीराम को समय की सीमाओं से परे बताते हुए मिशन प्रमुख ने कहा कि राम कभी के हैं, तभी के हैं और सभी के हैं। उन्हें किसी युग, किसी काल में आबद्ध नहीं किया जा सकता। कहा कि श्रीराम से परमार्थ की प्रेरणा मिलती है तथा रावण से स्वार्थ की। उन्होंने धीर, वीर, गम्भीर, प्रसन्न-वदन, शान्त, मर्यादित श्रीराम से उनके गुणों को लेकर उन्हें अपने अन्तरमन में उतारने को कहा। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम रामत्व व रावणत्व में से किसी एक का चयन कर लें, नीति और अनीति के दो मार्गों में से सही मार्ग का चयन कर लें। उन्होंने श्रीराम को मर्यादा का मुकुटमणि कहा और वनगमन के समय अनुज, धर्मपत्नी, माता कौशल्या, पिता राजा दशरथ सभी के अविचलित होने पर उनको भी मर्यादा सिखलाने की त्रेतायुग की इतिहास घटनाएँ सुनायीं।
श्री सुधांशु जी महाराज ने राम की संस्कृति को, अपनी आर्य संस्कृति को, अपनी भारतीय संस्कृति को, निज देव संस्कृति को अपनाने का आहवान देशवासियों से किया। उन्होंने कहा कि अपने जीवन, परिवार, समाज, राष्ट्र को समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाएँ। विकास की इस प्रक्रिया में उन्होंने श्रीराम की मर्यादाओं के धरातल को कभी नहीं छोड़ने की सलाह दी। इस मौके पर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कवि श्री अशोक भाटी ने अनाथ (देवदूत) बच्चों पर आधारित बड़ी सुन्दर रचना पढ़ी।
विश्व जागृति मिशन के इन्दौर मण्डल के वरिष्ठ अधिकारी एवं सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक श्री कृष्ण मुरारी शर्मा ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन कल रविवार सायंकाल होगा। गुरूमंत्र दीक्षा का कार्यक्रम मध्यान्हकाल सम्पन्न होगा।
परमात्मा का साथ ही है असली और स्थायी साथ
”तेरा है नाम दुनिया में पतित पावन सभी जानें”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिवस
इंदौर, 11 अप्रैल (सायं)। जीवन लगातार गतिमान है, स्वांसों की सीमित संख्या सबके पास है, बहुत बार ढेर सारे सपने देखते हुए व्यक्ति के अनेक सपने अधूरे रह जाते हैं। जब व्यक्ति का कोई भी सहारा नहीं रह जाता, तब उसका साथ ईश्वर देता है। वह परमेश्वर जिसे हम कभी याद नहीं कर पाए, वह ही काम आता है। मनुष्य का आखिरी व असली सहारा भगवान होते हैं, उन्हें कभी भी भुलाना नहीं चाहिए।
यह उदगार आज सायंकाल विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने रामलीला मैदान में चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के विशालकाय सभागार में हजारों की संख्या में मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं के बीच प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सफलता के दिनों में व्यक्ति के कदम निरन्तर आगे बढ़ाते जाते हैं लेकिन असफलता-जनित निराशा के समय में चार पग आगे बढ़ते हैं तो सहसा तीन कदम पीछे को आ जाते हैं। ऐसे में अन्तरतम में पूरी ईशनिष्ठा बनाये रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। शनै: शनै: परिस्थितियाँ बदलती हैं और मनुष्य पूर्ण आशावाद के साथ सफलता की ऊँची सीढ़ियों पर चढ़ता चला जाता है।
विजामि प्रमुख ने उपस्थित ज्ञान जिज्ञासुओं को जीवन में स्थाई प्रगति के अनेक आध्यात्मिक सूत्र दिए और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभ कामनाएं कहीं। उन्होंने देश के युवाओं को राष्ट्र का कर्णधार बताया और कहा कि हमारी युवा शक्ति को और अधिक सजगता के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने तथा बुराइयों व कुरीतियों से बचने का आह्वान किया।
विश्व जागृति मिशन के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय आनन्दधाम से आये मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग स्थल पर एक दर्जन से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें युगऋषि आयुर्वेद, साहित्य सेवा, धर्मादा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, गौशाला सेवा, वृद्धजन सेवा इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन स्टालों का लाभ भारी संख्या में इंदौरवासी उठा रहे हैं।
मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि संस्था द्वारा अनाथ (देवदूत) बालक-बालिकाओं के लिए चलाए गए शिक्षा कार्यक्रम को समाज के हर वर्ग से खासी सराहना मिली है। उन्होंने इस कार्यक्रम में और गति देने एवं बढ़ाने में सहयोग करने का आहवान किया।
अंतरंग को व्यवस्थित व संतुलित बनाकर हर क्षेत्र में की जा सकती है अपेक्षित प्रगति
इन्दौर सत्संग महोत्सव में आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कहा
ध्यान योग को समर्पित रही पूर्वाहन की कक्षा
इंदौर, 11 अप्रैल (प्रातः)। यहाँ दशहरा मैदान में कल बुधवार शाम से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज का पूर्वाहनकालीन सत्र ध्यान – योग को समर्पित रहा। इस कक्षा में उपस्थित ध्यान जिज्ञासुओं को प्रख्यात चिन्तक, विचारक एवं अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान की गहराइयों में उतरने और आत्म – जागरण करने के विविध आध्यात्मिक तरीके सिखलाये। ज्ञातव्य है कि विश्व जागृति मिशन के इंदौर मण्डल के तत्वावधान में इंदौर नगरी के रामलीला मैदान में पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है, जिस में इंदौर सहित मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से ज्ञान जिज्ञासु भाग ले रहे हैं।
ध्यान-योग सत्र में प्रवचन करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने सेवा, रोजगार, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि समस्त क्षेत्रों में सफलता के लिए ‘ध्यान’ को एक सशक्त माध्यम बताया और कहा कि भीतर वाले पक्ष को व्यवस्थित एवं संतुलित करके हम अपनी आध्यात्मिक, पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक, व्यापारिक, औद्योगिक, राजनैतिक सभी स्थितियों को ताकतवर बना सकते हैं और इन क्षेत्रों में सफलता की नई-नई राहें खोल सकते हैं। उन्होंने इसके अध्यात्मपरक तकनीकी पक्षों पर प्रकाश डाला तथा अनेक जीवन मन्त्र दशहरा मैदान में हजारों की संख्या में उपस्थित स्त्री – पुरुषों को दिए।
मिशन प्रमुख ने जीवन में असली मित्रों की पहचान करने की सलाह दी। उन्होंने विज्ञापनों की चकाचौंध भरी दुनिया से बचने को कहा। पहले महंगे-महंगे वस्त्र सिलवाने और फिर भारी पैसा देकर उन्हें फड़वाकर पहनने की अप-संस्कृति को उन्होंने बहुत बड़ी कुरीति बताया। उपस्थित जनसमुदाय से उन्होंने कहा कि आप इस नई तरह की कुरीतियों से प्रयासपूर्वक बचिए और अपनी भावी पीढ़ियों को बचाइए।
उन्होंने आनन्द की खोज में तड़पती जीवात्मा का विश्लेषण किया और बताया कि आनन्द प्रदान करने वाले विशाल वृक्ष का नाम ‘परमात्मा’ है। जीवन में सारे साधन मिल जाने पर भी आनन्द-धन यानी परमेश्वर से जुड़े बिना आनन्द की इच्छा मात्र कोरी कल्पना है। मिशन प्रमुख ने कहा कि आनन्द की प्राप्ति के लिए हमें अध्यात्म की सही डगर पर चलना ही पड़ेगा।
ध्यान – सत्र में मौजूद जिज्ञासु श्रोताओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि धीमे व मधुर संगीत के वातावरण में चल रही ध्यान कक्षा में भाग लेने के लिए भारी संख्या में नवरात्रि व्रतधारी भी इन्दौर के विभिन्न अंचलों से दशहरा मैदान स्थित सत्संग सभा स्थल पर पहुंच रहे हैं।
आनन्द में जागने और शांति में सोने का अभ्यास करने की दी नसीहत
सप्ताह के सभी सात दिनों की प्रेरणाएं जनमानस को दी
मधुर भजनों से सजी आज की दिव्य संध्या
”चरण में रखना शरण में रखना हरदम अपनी शरण में रखना”
दशहरा मैदान में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ आगाज
इंदौर, 10 अप्रैल। विश्व जागृति मिशन के इंदौर मण्डल द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत शुभारम्भ हो गया। मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज आज नई दिल्ली से इंदौर पहुँचे। उन्होंने प्रदेश की औद्योगिक नगरी एवं शिक्षानगरी इंदौर सहित प्रान्त के विभिन्न जनपदों से हजारों की संख्या में दशहरा मैदान में पधारे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित किया।
सत्संग सभा में उदघाटन सत्र में बोलते हुए मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हमारी प्रार्थना इस तरह की हो कि हम इस धरती पर अपने आगमन के कारण एवं मर्म को समझ सकें, हम अपने कर्मों की सुगन्धित से दसों दिशाओं को दिव्य सुवास से भर सकें, हम ऊँचे लक्ष्य के लिए अपने को समर्पित कर सकें, हम वह कर सकें कि जिससे ईश्वर प्राप्ति का हमारा जीवन लक्ष्य पूरा हो। उन्होंने दिव्य भजन ”मेरा नाथ तू है मेरा नाथ तू है, नहीं मैं अकेला मेरे साथ तू है” स्वयं गाकर सभी को भावविभोर कर दिया। इसके पूर्व उन्होंने मण्डल प्रधान श्री राजेन्द्र अग्रवाल व स्थानीय मिशन अधिकारियों के साथ दीप प्रज्जवलन कर पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का उदघाटन किया।
मिशन प्रमुख ने विशालकाय सभागार में व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए ज्ञान-जिज्ञासुओं से कहा कि हम-आप सब इस सृष्टि का अंग हैं। इस सृष्टि के नियन्ता यानी इस ब्रह्माण्ड के सृजनहार को जाने बिना जीवन के दुखों से मुक्ति नहीं पाई जा सकती। साधना, जप, तप एवं ज्ञान के जरिये साधना क्षेत्र में सफलता के द्वार खुला करते हैं। शान्ति पर्व नवरात्रि के इस काल में इसी साधना के माध्यम से माँ से, प्रभु से साक्षात्कार किया जाता है। इसके लिए ‘आनन्द’ में जागने और ‘शान्ति’ में सोने की कला हमें विकसित करनी होगी। उन्होंने साधना मार्ग से जीवन में सफलता और प्रभु की कृपाओं का सामीप्य पाने के लिए अनेक प्रभावशाली सूत्र उपस्थित जनसमुदाय को दिए।
श्री सुधांशु जी महाराज ने प्रकृति में लीन हो गई सन्ध्या से तदाकार होकर समय से निद्रा की गोद में जाने की प्रेरणा सभी को दी। कहा कि प्रातःकालीन वेला में प्रभु हर ओर से समृद्धि का वरदान देते हैं। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में जागकर प्रभु प्रार्थना करने वाले तथा प्रभु प्रेरणा प्राप्त कर दिन का श्रीगणेश करने वालों का इंतजार सफलताएँ सदैव किया करती हैं। अशान्ति में जागने वालों का मंगल तो क्या, उसका कोई भी दिन शुभ नहीं हो सकता।
श्री सुधांशु जी महाराज ने सप्ताह के सातों दिनों की बड़ी सुन्दर व्याख्या की। उन्होंने रविवार को ज्ञान का दिन बताया और ज्ञानार्जन के लिए प्रवृत्त होने को कहा। उन्होंने सोमवार को शान्ति, मंगलवार को मंगलकारी चिन्तन, बुधवार को बुद्धिमत्ता, वृहस्पति को विस्तार का दिन कहा। बताया कि गुरुसत्ता साधक का भीतर से बाहर तक विस्तार करने को उद्यत रहती है। शुक्रवार को बल तथा शनिवार को प्रगति की संज्ञा देते हुए उन्होंने हर दिन की प्रेरणाओं को ग्रहण करने का आह्वान किया। श्री सुधांशु जी महाराज ने बड़ों को थोड़ा झुककर छोटों को स्नेह देकर आगे बढ़ाने की प्रेरणा सभी को दी।
विश्व जागृति मिशन के इंदौर मण्डल प्रमुख श्री राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन 14 अप्रैल की सायंकाल होगा। उसी दिन मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम भी सम्पन्न होगा। कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन व संचालन नई दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।
अपने प्रति कठोरता और दूसरों के प्रति उदारता सबसे बड़ा यज्ञ
“रहते नहीं हमेशा दिन एक से किसी के”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन
गुरुग्राम, 07 अप्रैल (सायं)। यहाँ विगत 04 अप्रैल से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। विदाई सत्र में विश्व जागृति मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भवदगीता के विभिन्न प्रसंगों को उधृत करते हुए दैनन्दिन जीवन के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण सूत्र सत्संग में आये ज्ञान जिज्ञासुओं को दिए और कहा कि आप जोड़ने वाले बनें, तोड़ने वाले नहीं।
उन्होंने हितकारी सत्य बोलने का पक्षधर बनने की सलाह दी। कहा कि सत्यनिष्ठ व्यक्ति ही जीवन में अन्तत: सफल होते हैं। रामायण के प्रमुख पात्र हनुमान की चर्चा करते हुए उन्होंने लोकसेवी कार्यकर्ताओं को श्रीहनुमान के जीवन से शिक्षा लेने को कहा। बताया कि भक्तराज हनुमान ने प्रभु श्रीराम द्वारा दिये गए कार्य को सम्पन्न करते हुए सीता माँ का पता तो लगाया ही था, अपने विवेक का उच्चस्तरीय परिचय देकर लंकापति और उनकी सेना की शक्ति का भी पता कर लिया, लंका की सेना को श्रीराम की सेना की एवं उनके सैनिकों की ताकत का परिचय दिया। पूरी शक्ति का प्रदर्शन करने के बाद वापस आकर बड़ी विनम्रता के साथ अपनी सफलता का श्रेय अपनी टीम के सभी सदस्यों को दिया।
श्री सुधांशु जी महाराज ने मुदिता, उपेक्षा, करुणा एवं सेवा के मानवीय गुणों की व्याख्या की और इन्हें जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। उन्होंने जीवन में संतुलन को उच्च स्तर के ‘योग’ की संज्ञा दी और कहा कि अनुकूल व विपरीत परिस्थितियों में सम बने रहने का अभ्यास डालें। जीवन के हर कर्म को यज्ञमय बनाने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने किसी से मिले प्रेम एवं उपकार को कई गुना बढ़ाकर वापस करने को सबसे बड़ा यज्ञ बताया। कहा कि अपने लिए कठोरता और दूसरों के प्रति उदारता ही वास्तविक यज्ञ है।
गुरुग्राम से विदाई के पूर्व विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल के पदाधिकारियों ने अपने सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज का भव्य नागरिक अभिनन्दन किया। कार्यक्रम का समापन आरती के साथ हुआ।
समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन व संचालन विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। आज की सन्ध्या ईश-वन्दना एवं राष्ट्र-वन्दना के गीतों व भजनों से सजी थी। आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग, राम बिहारी एवं महेश सैनी के भजनों ने जनमानस को भीतर तक झंकृत किया। श्री चुन्नी लाल तंवर, श्री राहुल आनन्द एवं श्री प्रमोद राय ने वाद्य यंत्रों पर उनका सहयोग किया।
आज्ञा चक्र के जागरण में ॐकार की बड़ी भूमिका
ध्यान-योग के सत्र में सिखाए स्वस्थवृत्त के सूत्र
गुरुग्राम, 07 अप्रैल (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के प्रातःकालीन सत्र में ध्यानगुरु एवं विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष डॉ. अर्चिका दीदी ने उपस्थित ध्यान जिज्ञासुओं को ध्यान एवं योग की विधियाँ सिखायीं, साथ ही उनका व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया। इस मौके पर मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने साधकों का प्रभावी मार्गदर्शन किया।
डॉ. अर्चिका दीदी ने ॐकार का विवेचन किया और कहा कि साधक के आज्ञा चक्र में स्पन्दन व उसके जागरण में ॐकार की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने ॐकार को ध्यान के क्षेत्र में प्रवेश का एक प्रभावशाली माध्यम बताया। नवरात्रि पर्व पर माँ के साधकों को उनने माँ के विशेष मन्त्र ‘:ॐ एें हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चयै’ का मर्म समझाया और उसका अभ्यास कराया। उन्होंने ध्यान-योग के विभिन्न आसनों का अभ्यास व्यावहारिक रूप से भी कराया।
इस अवसर पर मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान जिज्ञासुओं से कहा कि मानव की अपनी सीमाएँ हैं लेकिन परमात्मा असीम है। वह अनादि है, अनन्त हैं। साधना जगत का सीम-पथिक असीम-परमेश्वर का साक्षात्कार प्रयासपूर्वक करता है। उन्होंने साधना क्षेत्र की गहराईयों की चर्चा की और उनका अभ्यास उपस्थित जनसमुदाय को कराया। मनुष्य की सुनने, देखने, चलने, सोचने की सीमाओं की उन्होंने बड़े व्यावहारिक तरीक़े से चर्चा की और कहा कि मानव की तुलना व उपमा किसी से की जा सकती है, लेकिन परमपिता परमात्मा अनुपमेय है, अतुलनीय है। प्रभु की कोई उपमा नहीं की जा सकती, उनकी तुलना किसी से भी किया जाना सम्भव नहीं है।
आज मध्यान्हकाल में सत्संग स्थल पर सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरुषों ने विश्व जागृति मिशन के कल्पनापुरुष एवं संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण की।
गुरुग्राम विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन आज सायंकाल 07 बजे होगा। विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल प्रधान श्री नरेन्द्र पाल चंदोक ने बताया कि सत्संग समारोह में हरियाणा के विभिन्न जनपदों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विविध अंचलों से आये ज्ञान-जिज्ञासु भाग ले रहे हैं।
इसके पूर्व हरियाणा कला एवं संस्कृति मण्डल के निदेशक श्री अजय सिंघल, तिरुपति से पधारे श्री तिरुपति स्वामी प्रो. आरएस त्रिपाठी, कैंसर पीड़ितों की सेवार्थ कार्यरत संस्था कैंविन के अध्यक्ष श्री बीडी गोयल सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने मिशन प्रमुख श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनंदन सत्संग मंच पर किया।