ॐ नमः शिवाय के सहगान संकीर्तन से गूँजा गंगातट
कुम्भनगरी में एकत्र हुआ विशाल विश्व जागृति मिशन परिवार
प्रयागराज, 07 फरवरी। विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज आज पूर्वाहनकाल नयी दिल्ली से प्रयागराज पहुँचे। उन्होंने कुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-6 स्थित विश्व जागृति मिशन के शिविर में पहुँचकर वहाँ देश-विदेश से हजारों की संख्या में पधारे साधकों एवं कुम्भ स्नानाथिर्यों को सम्बोधित किया। प्रयागराज का संगम तट ‘ॐ नमः शिवाय’ के सहगान संकीर्तन से गूँज उठा।
लाखों-लाख मिशन साधकों के मार्गदर्शक सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने संगम तट पर अपने पूर्वजों को याद करने का आह्वान सभी से किया और उनके श्रेष्ठ गुणों को अपने जीवन में उतारने की अपील की। कहा कि हर बारह वर्ष बाद आने वाला कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति का वह अनूठा आध्यात्मिक अनुष्ठान है जिससे सनातन धर्म से जुड़े नर-नारी अद्भूत शक्ति पाते हैं। उन्होंने समुद्र मन्थन से प्रेरणा लेकर स्वयं का मन्थन करने को कहा। बताया कि हर व्यक्ति के भीतर एक समुद्र है जिसे मथने की महती आवश्यकता है। इसमें अमृत भी है और विष भी। हमें विषपापी शिव का सच्चा भक्त बनना होगा और जीवन के जहरों को चुन-चुनकर खत्म करना होगा। तभी हम महादेव के सच्चे अनुयायी बन सकेंगे।
श्री सुधांशु जी महाराज ने समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों की विशद व्याख्या की और कहा कि आज बड़ी जरूरत है कि हम आत्म निरीक्षण, आत्म परीक्षण, आत्म सुधार की प्रक्रिया को अपनाएँ तथा हर पल स्वयं को परिष्कृत करें। उन्होंने शिव और गंगा के सम्बन्धों की भी चर्चा की और सबके कल्याण के लिए अनन्त काल से प्रवाहित होतीं माता गंगा से प्रेरणा ग्रहण करने को कहा। उन्होंने कहा कि दूसरों का कल्याण करने वालों की अनेक मार्गों से परमात्मा सहायता करते हैं।
आज मिशन के कुम्भ शिविर में 20 वटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार भी सम्पन्न हुआ। आचार्य राकेश द्विवेदी एवं आचार्य डॉ. सप्तर्षि मिश्र द्वारा महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ, बैकुंठपुर – बिठूर कानपुर के विद्यार्थियों का उपनयन संस्कार कराया गया। सामूहिक उपनयन संस्कार का वह दृश्य अनोखा था।
इस अवसर पर गुरुकुल के विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति के कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।