
आनन्द, सत्य, प्रेम और शान्ति बाहर नहीं अन्दर से मिलते हैं
“आनन्द न बीते हुए कल में है, न आने वाले कल में है, आनन्द उस पल में है जो आप जी रहे हैं” ”आनन्द खोजने से नहीं मिलता, सच्चिदानंद में खो जाने से मिलता है” दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में हुई विशेष आध्यात्मिक सभा आनन्द की खोज विषय पर