कार्तिक कृष्ण एकादशी के व्रत पूजन से पापक्षय और पुण्यफल की प्राप्ति

कार्तिक कृष्ण एकादशी के व्रत पूजन से पापक्षय और पुण्यफल की प्राप्ति

21 अक्टूबर, 2022 शुक्रवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का नाम भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी के नाम पर रमा एकादशी पड़ा। इस एकादशी को व्रत रखकर पूजा पाठ करने वाले श्रद्धालु भक्त के जीवन में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में विष्णुभक्त धर्मात्मा मुचुकुंद नाम का एक राजा था, जिसकी चन्द्रभागा नाम की एक कन्या का विवाह चंद्रसेन के पुत्र शोभन के साथ हुआ। राजा मुचुकुंद के राज्य में सभी प्राणी एकादशी का व्रत करते थे। एक समय मुचुकुंद का दामाद शोभन राजा मुचुकुंद के नगर आया संयोग से उसी समय रमा एकादशी थी ऐसे में पूरे नगर में लोगों ने व्रत रखा लेकिन शोभन भूख सहन नहीं कर पाता था परंतु चंद्रभागा के कहने पर उसने बिना श्रद्धा के रमा एकादशी का व्रत किया। किंतु व्रत में भूख न सहन कर पाने के कारण शोभन की मृत्यु हो गई। व्रत के प्रभाव से शोभन को मृत्यु के उपरांत धन-धान्य से युक्त तथा शत्रुओं से रहित एक सुंदर देवपुर प्राप्त हुआ लेकिन एकादशी व्रत को श्रद्धा रहित होकर करने से वह देवपुर अस्थिर रहा। यह बात जब शोभन की पत्नी चंद्रभागा को ज्ञात हुई तो उसके स्वयं के द्वारा किये हुये रमा एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से वह नगर स्थिर हो गया। यह रमा एकादशी का व्रत सभी पापों को हरण कर पुण्य की प्राप्ति कराने वाला है।

दिनांक 21 अक्टूबर, 2022 शुक्रवार को रमा एकादशी के पुण्य पर्व पर परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशुजी महाराज की कृपा से आप सभी की धार्मिक निष्ठा की पूर्ति में समर्पित “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा रमा एकादशी पर किए जाने वाले मन्त्रानुष्ठानों का लाभ प्राप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएं।

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